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शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा।शिक्षण कौशल की विशेषतायें

शिक्षण कौशल का अर्थ एवं परिभाषा (MEANING AND DEFINITION OF TEACHING SKILL) एन. एल. गेज के अनुसार, "शिक्षण कौशल वे विशिष्ट अनुदेशात्मक क्रियायें प्रक्रियायें है, जिन्हें शिक्षक कक्षा-कक्ष में अपने शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए उपयोग करता है। ये शिक्षण की विभिन्न अवस्थाओं से सम्बन्धित होती तथा ये शिक्षक निरन्तर प्रयोग में आती हैं।" "Teaching skills are specific instructional activities and procedures that a teacher may use in his classroom. These are related to various stages of teaching or in continu ous flow of the teacher performance."  -N. L. Gage डॉ. वी. के. पासी के अनुसार, "शिक्षण कौशल, छात्रों के सीखने के लिए सुगमता प्रदान करने के   विचार   से सम्पन्न की गयी सम्बन्धित शिक्षण क्रियाओं या व्यवहारों का समूह है।" ""Teaching skills are a set of related teaching acts or behaviour performed with the intention to facilitate pupils learning." — Dr. V. K. Passi मैकइन्टेयर तथा व्हाइट ने शिक्षण कौशल की चर्चा करते हुए लिखा है, "शिक्षण कौश...
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शिक्षण चक्र के प्रकार।इसमें प्रयुक्त प्रविधियां। इसका भारतीय प्रतिमान।लाभ।सीमाएँ। उपयोग

हेल्लो दोस्तों आज हम सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल के अंतर्गत  सूक्ष्म शिक्षण चक्र के प्रकार, सूक्ष्म शिक्षण में प्रयुक्त प्रविधियां , सूक्ष्म शिक्षण का भारतीय प्रतिमान, सूक्ष्म शिक्षण के लाभ  सूक्ष्म शिक्षण की सीमाएँ, सूक्ष्म शिक्षण के उपयोग। आदि के बारे में विस्तार से :   3: सूक्ष्म शिक्षण चक्र के प्रकार (TYPES OF MICRO TEACHING CYCLE) उपर्युक्त विवेचित प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक छात्राध्यापक शिक्षण कौशल विशेष में निपुणता (Mastery) न प्राप्त कर ले। शिक्षण, पृष्ठ-पोषण पुनः पाठ नियोजन, पुनः शिक्षण तथा पुनः पृष्ठ-पोषण के पाँचों पदक्रमों को मिलाकर एक चक्र-सा बन जाता है जो तब तक चलता रहता है जब तक उसे शिक्षण कौशल विशेष पर पूर्ण अधिकार (निपुणता) न प्राप्त हो जाये। यही चक्र, सूक्ष्म शिक्षण-चक्र कहलाता है। उपर्युक्त विवरण के आधार पर सूक्ष्म शिक्षण चक्र के विभिन्न पद चित्र के द्वारा नीचे प्रदर्शित किये जा रहे हैं  सूक्ष्म शिक्षण प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन (BRIEF DESCRIPTION OF MICRO TEACHING PROCESS) सूक्ष्म शिक्षण प्रक्रिया में सर्वप्रथम छात्राध्यापको...

सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल।सूक्ष्म शिक्षण की अवधारणा।विशेषताएँ।आवश्यकता एवं महत्त्व।सिद्धान्त

सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल [Micro Teaching and Basic Skill of Teaching]  हेल्लो दोस्तों आज हम बात करेंगे :  सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल के अंतर्गत :  सूक्ष्म शिक्षण की अवधारणा  ,   सूक्ष्म शिक्षण की विशेषताएँ  , सूक्ष्म शिक्षण की आवश्यकता एवं महत्त्व,  सूक्ष्म शिक्षण के सिद्धान्त,  सूक्ष्म शिक्षण व्यवस्था शैक्षिक प्रक्रिया के बारे में विस्तार से :👍 1 : सूक्ष्म शिक्षण की अवधारणा (CONCEPT OF MICRO TEACHING) सूक्ष्म शिक्षण, शिक्षक प्रशिक्षण की एक प्रयोगशालीय एवं वैश्लेषिक विधि है, जिसके माध्यम से छात्राध्यापकों में शिक्षण-कौशल' विकसित किये जाते हैं।  एलन (1968) ने इसकी परिभाषा निम्न प्रकार से की है, सूक्ष्म शिक्षण प्रशिक्षण से सम्बन्धित एक सम्प्रत्यय है जिसका प्रयोग सेवारत एवं सेवापूर्व (Inservice and Preservice) स्थितियों में शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए किया जाता है। सूक्ष्म शिक्षण शिक्षकों को शिक्षण के अभ्यास के लिए एक ऐसी योजना प्रस्तुत करता है जो कक्षा की सामान्य जटिलताओं को कम कर देता है और जिसमें शिक्ष...

शिक्षण की नवीन विधाएं (उपागम)।उपचारात्मक शिक्षण क्या है।बहुकक्षा शिक्षण / बहुस्तरीय शिक्षण।

शिक्षण की नवीन विधाएं (उपागम) हेल्लो दोस्तों आज हम बात करेंगे  उपचारात्मक शिक्षण क्या है, उपचारात्मक शिक्षण का अर्थ, उपचारात्मक शिक्षण की विधियाँ, तथा  बहुकक्षा शिक्षण / बहुस्तरीय शिक्षण :  बहुकक्षा शिक्षण का अर्थ, बहुकक्षा शिक्षण की आवश्यकता, बहुकक्षा शिक्षण की समस्याएँ तथा उसका समाधान,  बहुस्तरीय शिक्षण का अर्थ, बहुस्तरीय शिक्षण की आवश्यकता, बहुस्तरीय शिक्षण विधि के उद्देश्य, बहुस्तरीय शिक्षण विधि ध्यान रखने योग्य बातें👍 6 : उपचारात्मक शिक्षण (REMEDIAL TEACHING) शिक्षा की आधुनिक अवधारणा में जबकि शिक्षा बाल केन्द्रित हो चुकी है तथा शिक्षण का स्थान अधिगम ने ले लिया है, शिक्षा जगत् में एक और संकल्पना विकसित हुई है जिसे व्यापक तथा सतत् मूल्यांकन कहते हैं। यह शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के साथ-साथ उसके विभिन्न अंग के रूप में चलता रहता है। इसका लक्ष्य यह ज्ञात करना होता है कि  (1) बच्चा अपने स्तर के अनुरूप सीख रहा है या नहीं ? (2) सीखने के मार्ग में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ आ रही हैं ? (3) बच्चा किस गति से सीख रहा है ? (4) यदि बच्चे में अपेक्षित सुधार नहीं है तो इसके लिये क...

शिक्षण की नवीन विधाएं (उपागम)।रुचिपूर्ण / आनन्दमयी शिक्षण।सहभागी शिक्षण।दक्षता आधारित शिक्षण

शिक्षण की नवीन विधाएं (उपागम) हेल्लो दोस्तों आज हम बात करेंगे :  रुचि का अर्थ,  रुचि की परिभाषाएँ,  रुचिपूर्ण / आनन्दमयी शिक्षण क्या है,  रुचिपूर्ण शिक्षण के उद्देश्य ,  सहभागी शिक्षण क्या है,  सहभागी शिक्षण का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य तथा  दक्षता आधारित शिक्षण क्या है, दक्षता आधारित शिक्षण का अर्थ, उद्देश्य और सोपान क्या है। 👍 3 : रुचिपूर्ण / आनन्दमयी शिक्षण (INTERESTED BASED TEACHING) प्राथमिक शिक्षा में परम्परागत शिक्षण विधियों, विद्यालय का अनाकर्षक तथा अरुचिपूर्ण वातावरण तथा क्रियाकलाप विहीन पाठ्यक्रम आदि ने बालक को विद्यालय से दूर कर ह्रास एवं अवरोध जैसी समस्याओं को जन्म दिया है और शिक्षण के सार्वजनीकरण का जो लक्ष्य हमें स्वतन्त्रता प्राप्ति के 10 वर्ष बाद ही प्राप्त कर लेना चाहिये था, वो हम 62 वर्षों में भी प्राप्त नहीं कर पाये। अतः शिक्षा के सार्वजनीकरण एवं उपलब्धि की सम्प्राप्ति सुनिश्चित कराने हेतु शिक्षा विभाग ने वर्ष 1994 में प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के सहयोग से यूनीसेफ वित्त पोषित रुचिपूर्ण शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया है। रुचि का अर्...

शिक्षण नवीन विधाएँ (उपागम)।बाल-केन्द्रित शिक्षण उपागम।क्रिया/गतिविधि आधारित शिक्षण

शिक्षण नवीन विधाएँ (उपागम) [New Approaches of Teaching] हेल्लो दोस्तों आज हम बात करेंगे शिक्षण नवीन विधाएँ (उपागम) से सम्बन्धित बाल-केन्द्रित शिक्षण उपागम क्या है , इसकी विशेषताएँ , बाल-केंन्द्रित शिक्षण का महत्त्व तथा क्रिया/गतिविधि आधारित शिक्षण क्या है ,गतिविधियों पर आधारित शिक्षण विधि , गतिविधि आधारित शिक्षण विधि (क्रियापरक विधि) के प्रकार , गतिविधि आधारित शिक्षण विधि (क्रियापरक विधि) की विशेषताएँ। आदि के बारे में विस्तार से 👍 1. बाल-केन्द्रित शिक्षण उपागम (CHILD-CENTRED TEACHING APPROACH) प्राचीनकाल की शिक्षा शिक्षक केन्द्रित शिक्षा थी। शिक्षक जैसे चाहता था उसी प्रकार से शिक्षा देता था। इसमें बालक की अपेक्षा पाठ्यक्रम को अधिक महत्त्व दिया जाता था परन्तु शिक्षा में मनोविज्ञान के प्रवेश से बालक को महत्त्व दिया जाने लगा है। अब बालक की रुचियों, रुझानों तथा क्षमताओं को महत्त्व दिया जाने लगा है। पाठ्यक्रम के निर्धारण में भी इन बातों का ध्यान रखा जाता है। बाल-केन्द्रित शिक्षण का मुख्य उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है। बाल-केन्द्रित शिक्षण की विशेषताएँ (Characteristics of Child-C...

भ्रमण प्रविधि / क्षेत्रीय पर्यटन प्रविधि क्या है।इसकी परिभाषा। प्रकार।उद्देश्य।उपयोगिता

14 : भ्रमण प्रविधि / क्षेत्रीय पर्यटन प्रविधि (FIELD TOUR TECHNIQUE) छात्रों व बालकों की यह मनोवृत्ति होती है कि वे समूह में रहना, समूह में खेलना तथा अपनी अधिकतम क्रियाओं को समूह में करना चाहते हैं तथा उनका अधिगम भी समूह में उत्तम प्रकार का है। क्योंकि छात्र जब समूह के साथ 'करके सीखना' (Learning by Doing) है तो वह अधिक स्थायी होता है। इसके साथ ही छात्र पर्यटन (Trip) के माध्यम से वस्तुओं का साक्षात् निरीक्षण करने का अवसर प्राप्त होता है। इस युक्ति से जो ज्ञान प्राप्त करते हैं। वह वस्तु की आकृति या वातावरण की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेता है। क्योंकि बालकों को घूमना-फिरना बहुत पसन्द होता है और हँसते-हँसते, घूमते-फिरते पर्यटन युक्ति के माध्यम से आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।  अध्यापक को इस युक्ति में दो प्रकार से सहायता करनी पड़ती है- 1. पर्यटन पर छात्रों को ले जाने की व्यवस्था करना। 2. पर्यटक स्थान पर छात्रों को निर्देशन देना तथा वस्तु की वास्तविकता से परिचित कराना।  क्षेत्रीय पर्यटन प्रविधि की परिभाषा (Definitions of Field Tour Technique) क्षेत्रीय पर्यटन युक्ति के विषय म...