10 : समूह चर्चा प्रविधि (GROUP DISCUSSION TECHNIQUE)
आज ज्ञान के क्षेत्रों का तीव्र गति से विकास हो रहा है। नवीनतम आविष्कारों ने मानव मस्तिष्क के चिन्तन के द्वार खोल दिये है, ऐसी स्थिति केवल उच्च स्तर पर व्याख्यान विधि द्वारा शिक्षण करना ठीक नहीं है, अपितु छात्र-शिक्षक परस्पर विचारों का आदान-प्रदान करें। प्रकरण के अनुसार विशेषज्ञों की आमन्त्रित कर परस्पर चर्चा कर नवीन तथ्यों को प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है। इसके लिए सामूहिक चर्चा बहुत उपयोगी है।
किसी विषय-वस्तुः समस्या या विषय पर गहराईपूर्वक विचार करने की सामूहिक प्रक्रिया को परिचर्चा (Discussing) के नाम से पुकारा जाता है।
एक ही शिक्षक से एक ही विषय के सभी प्रकरणों के विशिष्ट ज्ञान की अपेक्षा करना ठीक नहीं है। अतः प्रकरण के अनुसार विशेषज्ञों को आमन्त्रित कर परस्पर चर्चा करके नवीन तथ्यों को प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है। इसके लिए सामूहिक चर्चा (Group discussion) बहुत उपयोगी है।
इसके माध्यम से कई जटिल एवं गूढ़ विषयों का सम्यक विश्लेषण, अवबोध एवं मूल्यांकन होता है।
परिचर्चा में भाग लेने वाले सभी छात्र एवं शिक्षक तल्लीनता के साथ हर मुद्दे पर सोचते है और अपना मत व्यक्त करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपना विचार या मत प्रकट करने की पूरी स्वतन्त्रता रहती है और इस प्रकार प्रत्येक की राय को दृष्टिकोण रखते हुए बहुमत के आधार पर विषय या समस्या के बारे में निर्णय लिए जाते हैं।
मित्र मत रखने वाले व्यक्तियों के सुझाव या असहमति को पूर्ण वस्तुनिष्ठतापूर्वक अंकित कर लिया जाता है। अल्पमत रखने वाले सहभागियों के प्रति कोई भेदभाव नहीं किया जाता। इसलिए परिचर्चा को मूलतः लोकतांत्रिक व्यवस्था का लघु रूप कहा जाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-सामूहिक चर्चा का उपयोग सर्वप्रथम कक्षा शिक्षण के लिए 1929 में ओबर स्ट्रीट ने किया।
सामूहिक चर्चा का अर्थ (Meaning of Group Discussion)
चर्चा विधि में शिक्षण का कार्य विशेषज्ञों के समूह द्वारा आपसी चर्चा के माध्यम से किया जाता है। इसमें चर्चा कराये जाने का नेतृत्व एक समूह के हाथ में होता है।
राइट के अनुसार चर्चा विचार-विमर्श को आधुनिक विधि है जिसमें चर्चा का नियन्त्रण समूह द्वारा किया जाता है।"
एन. सी. ई. आर. टी. के अनुसार, शिक्षक को यह स्मरण रखना चाहिए कि बालक तथ्यात्मक ज्ञान के प्रस्तुतीकरण को केवल निष्क्रिय होकर सुनने की अपेक्षा स्वयं क्रिया कर तथा खोज कर अधिक प्रभावी रूप से सीख सकता है।"
हरबर्ट गुली के अनुसार, उस समय होती है जब व्यक्तियों का एक समूह आमने-सामने एकत्रित होकर मौखिक अन्तर्क्रिया द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं या किसी सामूहिक समस्या पर निर्णय लेते है।
"Discussion occurs when a group of persons assemble in a face to face situation and through oral interaction exchange information or attempts to reach a decision on shared problems." --Herbert Guli
ली के अनुसार, "शैक्षिक समूह क्रिया है। इसमें छात्र सहयोगपूर्वक एक-दूसरे से किसी समस्या पर विचार करते हैं।
जॉनसन का विचार के अनुसार, "विचार-विमर्श विशुद्ध रूप में एक सामाजिक कार्य है।"
"Discussion is social action in its pure form." -Johnson's view
सामूहिक चर्चा प्रविधि की विशेषतायें। (Characteristics of Group Discussion Technique)
सामूहिक चर्चा प्रविधि की प्रमुख विशेषतायें निम्न प्रकार है
(1) छात्रों में सही दृष्टिकोण एवं अभिवृत्तियों का विकास होता है तथा दूसरों के विरोधी विचारों के प्रति सम्मान की भावना का विकास होता है।
(2) छात्रों में सृजनात्मक तथा आलोचनात्मक विश्लेषण एवं विवेचन की क्षमताओं एवं योग्यता का विकास होता है।
(3) शैक्षिक परिचर्चा में भाग लेने के तरीकों को सीखने तथा अनुकरण करने का अवसर मिलता है।
(4) विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालय के लिए इस प्रविधि द्वारा चिन्तन स्तर पर शिक्षण व्यवस्था की जाती है।
(5) इससे समस्या समाधान की क्षमताओं एवं प्रवृत्ति का विकास होता है।
इस प्रकार चर्चा एक ऐसी प्रविधि है जिसमें विशेषज्ञों तथा विषयाध्यापकों के समूह द्वारा किसी समस्या परचर्चा विद्यार्थियों के सम्मुख की जाती है।
सामूहिक चर्चा की प्रकृति (Nature of Discussion)
1. यह किसी शैक्षिक समस्या तथा पाठ्यक्रम सम्बन्धी समस्या पर आयोजित किया जाता है।
2. इसमें छात्रों के प्रश्नों तथा उत्तरों को ही महत्त्व दिया जाता है।
3. इसके दो रूप होते हैं-औपचारिक तथा अनौपचारिक। औपचारिक कार्यक्रम को पहले बनाया
जाता है। इसमें विशिष्ट नियमों का अनुसरण किया जाता है। 4. छात्रों द्वारा व्यवस्था करने पर उन्हें नेता का चयन करना पड़ता है जो उसका कार्यक्रम बनाता है।
सामूहिक चर्चा के उद्देश्य (Objectives of Group Discussion)
1. सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का विद्यार्थियों में विकास करना।
2. छात्रों में आत्मविश्वास, आत्मनिर्णय, आत्मचिन्तन के स्थान पर मौखिक अभिव्यक्ति की सहायता जाग्रत करना।
3. समस्या का विश्लेषण कर अधिगम को प्रभावी बनाना।
4. चर्चा द्वारा मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धन करना ।
5. समस्या से सम्बन्धित सूचनाओं तथ्यों तथा आँकड़ों को विशेषज्ञों की सहायता से प्राप्त करना।
6. छात्रों में परस्पर सहयोग की भावना के साथ व्यापक दृष्टिकोण उत्पन्न करना।
समूह चर्चा प्रविधि के प्रकार (Types of Group Discussion Technique)
1. सार्वजनिक चर्चा : इस चर्चा का आयोजन सार्वजनिक स्तर पर किया गया है जिसमें ऐसे विषयों को रखा जाता है जो सामान्यतया सार्वजनिक रुचि के होते हैं, जैसे-खाद्य समस्या बेरोजगारी की समस्या प्रदूषण और महँगाई की समस्या आदि। इसमें यह चर्चा आकाशवाणी, इन्टरनेट और दूरदर्शन के द्वारा आयोजित की जाती है।
2. शैक्षिक चर्चा – यह चर्चा विद्यालय, महाविद्यालय तथा अन्तर्महाविद्यालय स्तर पर आयोजित की जाती है तथा इसका केन्द्र बिन्दु छात्र होता है। इसमें सूचनाओं तथा तथ्यों का ज्ञान प्रदान सिद्धान्तों तथा समस्याओं के समाधान हेतु पैनल चर्चा की व्यवस्था की जाती है।
3. चर्चा का विषय - पाठ्यक्रम में निर्धारित प्रत्येक विषय परिचर्चा के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता है। अतः केवल ऐसे विषयों पर ही चर्चा आयोजित करने चाहिए जिनके अलग-अलग पक्ष पर मतैक्य नहीं पाया जाता अथवा जिनके स्वरूप के बारे में विवाद हो अथवा जिनका तात्कालिक परिस्थितियों को अच्छी तरह समझने की दृष्टि से विशेष महत्त्व हो ।
4. चर्चा के लिए अपेक्षित योजना : परिचर्चा के उद्देश्य, उसमें भाग लेने वाले छात्रों की संख्या, उनके बैठने के ढंग, अध्यापक की भूमिका एवं निर्धारित समय की दृष्टि से एक योजना बनाना आवश्यक है जो उसके कार्यान्वयन में सहायक सिद्ध हो सके। सामान्यतः बीस से अधिक छात्रों के समूह में परिचर्चा का आयोजन करना उपयुक्त नहीं माना जाता।
सामूहिक चर्चा का उपयोग (Uses of Group Discussion) - इस अनुदेशन प्रविधि की निम्नलिखित उपयोगिता है
1. इस प्रविधि से ज्ञानात्मक तथा भावात्मक पक्षों के उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है। निम्न उद्देश्य के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।
2. इसमें सामाजिक अधिगम को अधिक प्रोत्साहन मिलता है।
3. पाठ्य-वस्तु तथा प्रकरण के बोधगम्य के साथ परिपाक को भी प्रोत्साहन मिलता है।
4. छात्रों में अभिरुचि तथा अभिवृत्तियों का विकास होता है तथा दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान की प्रवृत्ति का विकास होता है।
5. छात्रों में ज्ञानवृद्धि के साथ समस्या समाधान, तर्कशक्ति आलोचना करने की क्षमताओं विकास होता है।
सामूहिक चर्चा प्रविधि की सीमाएँ या दोष (Demerits or Limitations of Group Discussion Technique)
सामूहिक परिचर्चा की निम्नलिखित सीमाएँ हैं
(1) इस प्रविधि में सदस्यगण के विषय से सम्बन्धित आपसी मतभेद के कारण छात्रों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
(2) समूह के सदस्यों के पूर्व स्पर्द्धा के कारण भी आलोचना रचनात्मक नहीं होती है।
(3) चर्चा के समय विषय से सम्बन्धित भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है जिससे सामूहिक चर्चा के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाती है।
(4) कुछ सदस्य चर्चा के समय अपना प्रभाव जमा लेते हैं तथा समूह के अन्य सदस्यों को भाग लेने का अवसर नहीं देते हैं।
प्रभावशाली चर्चा के लिए सुझाव (Suggestions for effective group discussion)
सामूहिक परिचर्चा को कुशलपूर्वक सम्पादित एवं प्रभावशाली बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये गये हैं
(1) विषय में पारंगत तथा योग्यता क्रम के अनुसार वरिष्ठ व्यक्तियों में से किसी को अध्यक्ष चुना जाना चाहिए।
(2) अध्यक्ष सहित समूह के सदस्यों के बैठने की व्यवस्था इस प्रकार हो कि श्रोतागण सहित एक-दूसरे को देख या सुन सकें।
(3) समूह के सदस्यों के सार्थक तथा रचनात्मक अच्छे सुझावों को बढ़ावा देना चाहिए।
(4) इस प्रविधि की योजना उचित प्रकार से बनानी चाहिए जो देखने में उच्च स्तर की प्रतीत हो।
(5) अनुदेशक को समूह के सदस्यों का चुनाव करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि उनमें आपस में किसी तरह का मतभेद न हो।
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