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कार्यशाला /कार्यगोष्ठी प्रविधि क्या है।विशेषताएँ। गुण और दोष। उद्देश्य

 13. कार्यशाला /कार्यगोष्ठी प्रविधि (WORKSHOP TECHNIQUE)


मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से पृथक् रहकर उसका कोई अस्तित्व नहीं है और न व समाज से पृथक् रहकर अपना जीवनयापन ही कर सकता है। मनुष्य के लिये समाज अनिवार्य है। समाज में रहकर व्यक्ति अनिवार्य रूप से अपने छोटे-छोटे समूह बना लेता है। मनुष्य समाज एवं समूह केवल अपनी सुरक्षा के लिये गठित करता है। अधिगम के लिये सुरक्षा की भावना होना नितांत आवश्यक है। समाज एवं समूह दोनों ही अधिकतम अधिगम को प्रभावित करते हैं। कक्षा भी एक समूह है। कक्षा-कक्ष में अधिगम प्राप्त करने के उद्देश्य से निर्मित समूह एक प्राथमिक समूह है। इसी प्रकार कार्यशाला के रूप में परिचर्चा करने के लिये बनाया गया समूह भी प्राथमिक समूह है।


कार्यशाला /कार्यगोष्ठी प्रविधि से आशय (Meaning of Workshop Technique) कार्यशाला शब्द इंजीनियरिंग से लिया गया है। अभियांत्रिकी में अक्सर कार्यशाला होती है जिनमें व्यक्तियों को हाथ से कुछ न कुछ कार्य करना होता है, जिससे कुछ उत्पादन होता है, जैसे रोडवेज वर्कशाप, रेलवे न वर्कशाप आदि। इनके अन्तर्गत इंजनों को सुधारा जाता है या नया इंजन तैयार किया जाता है। इसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में परीक्षाओं के निर्माण के लिये प्रश्न बैंक वर्कशाप' (Questions Bank Workshop) का आयोजन किया जाता है। इसमें भाग लेने वाले अपने विषय से सम्बन्धित पाठ्य-वस्तु पर प्रश्नों की रचना करते हैं। इनके बनाने की विधि की जानकारी तथा प्रशिक्षण कार्यशाला में दिया जाता है।


शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की नवीन विकसित शिक्षण प्रविधियों की तुलना में कार्यशाला कार्य गोष्टी अधिक व्यावहारिक एवं उपयोगी है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की विभिन्न रचनात्मक एवं व्यावहारिक समस्याओं के विविध पहलुओं पर विवेचना हेतु कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। इसमें छात्र किसी समस्या के समाधान के लिये परस्पर विवेचन अथवा प्रत्यक्ष कार्य करते हैं। शिक्षा शब्दकोष के अनुसार, "कार्यशाला एक शैक्षणिक प्रविधि है, जिसमें सामान्य रुचियों और समस्याओं से युक्त व्यक्ति उपयुक्त विशेषज्ञों के साथ प्रायः आवासिक और कई दिवसों की अवधि में आवश्यक सूचनायें प्राप्त करने और समूह अध्ययन के माध्यम से समाधान निकालने के लिये मिलते हैं।"


एन. सी. ई. आर. टी., नई दिल्ली के डॉ. प्रीतम सिंह ने कार्यशाला की परिभाषा देते हुए लिखा है कि, "कार्यशाला आमने-सामने का ऐसा प्राथमिक समूह है, जिसमें सामाजिक अन्तःक्रिया अधिक निकटवर्ती तथा प्रत्यक्ष होती है और यह सदस्यों पर अधिक सामाजिक नियन्त्रण रखती है।" 


कार्यशाला/कार्यगोष्ठी प्रविधि की विशेषताएँ (Characteristics of Workshop Technique)


कार्यगोष्ठी के अर्थ तथा परिभाषाओं के सन्दर्भ में ऊपर जो कुछ भी कहा गया है उससे कार्यगोष्ठ की निम्नांकित विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं, जो अग्र प्रकार हैं


(1) कार्यगोष्ठी में कुछ विशिष्ट उद्देश्य से कुछ व्यक्ति एक स्थान पर आमने-सामने मिलते हैं।


(2) कार्यगोष्ठी में भाग लेने वाले व्यक्तियों में घनिष्ठ अन्त क्रियाएँ होती है। 


(3) कार्यगोष्ठी में एक या अधिक नेता होते हैं, जो कार्य गोष्ठी की विभिन्न क्रियाओं का संचालन करते हैं।


(4) कार्यगोष्ठी में भाग लेने वाले व्यक्तियों पर एक प्रकार का अप्रत्यक्ष सामाजिक नियन्त्रण होता है।


(5) कार्यगोष्ठी में भाग लेने वाले समूह में गत्यात्मकता पाई जाती है।


(6) कार्यगोष्ठी में भाग लेने वालों को कतिपय निश्चित करने होते है।


कार्यशाला / कार्यगोष्ठी प्रविधि के उद्देश्य (Objectives of Workshop Techniques) 


इस प्रविधि का प्रयोग ज्ञानात्मक तथा क्रियात्मक उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये किया जाता है। कार्यक्षमता के उद्देश्यों को दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है


(अ) ज्ञानात्मक उद्देश्य– इन अनुदेशन प्रविधि के प्रयोग से निम्नलिखित ज्ञानात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है


(1) शिक्षण व्यवसाय सम्बन्धी समस्याओं का समाधान ढूंढ़ निकालना। 


(2) अनुदेशन तथा शिक्षा सम्बन्धी परिस्थितियों के सामाजिक अथवा दार्शनिक एक्ष का विस्तार में विवेचन करना।


(ब) क्रियात्मक उद्देश्य - इस प्रविधि के उपयोग करने से निम्नांकित क्रियात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है—


(1) शिक्षण की विशिष्ट व्यावसायिक क्षमताओं का विकास करना।


(2) व्यक्तिगत रूप में भाग लेने तथा कार्य करने की योग्यताओं का विकास करना।


कार्यशाला प्रविधि का प्रमुख उद्देश्य यह है कि नवीन प्रविधि विधियों एवं उपागमों का सेवारत शिक्षकों को उनसे अवगत कराना एवं उनको प्रशिक्षण देना है, जिससे वह अपने कक्षा शिक्षा में उपयोग कर सकें तथा अपने शिक्षण की प्रभावशीलता में वृद्धि कर सके।


कार्यशाला / कार्यगोष्ठी प्रविधि की प्रक्रिया (Process of Workshop Technique) सर्वप्रथम कार्यशाला के लिये प्रकरण या समस्या का चयन किया जाता है। प्रकरण का चयन हो जाने पर उसके अध्ययनार्थ सन्दर्भों (References) आदि पर भी कक्षा में विवेचन होता है। इसके पश्चात् को कार्य गोष्ठी इकाइयों में बाँट दिया जाता है और कक्षा को समूहों में, उदाहरणार्थ 40 छात्रों की कक्षा को 8 समूहों में बाँटा जा सकता है। इस प्रकार प्रत्येक समूह में 5 छात्र सदस्य हो जाते हैं। इसके बाद समूहों में प्रकरण की कार्यगोष्ठी इकाइयों को निर्धारित कर देते हैं। तत्पश्चात् दो कक्षा चक्र (पीरियड) अथवा तीन दिवसों के अन्तराल में कार्य गोष्ठी समूहों की बैठकों के लिये दिये जाते हैं। प्रत्येक समूह अपनी निर्धारित इकाई पर कार्य करता है और प्रतिवेदन (रिपोर्ट) तैयार करता है। समस्त कार्य गोष्ठी समूह अपने द्वारा तैयार प्रतिवेदनों का परस्पर संशोधन करते हैं। इसके उपरान्त परस्पर संशोधित प्रतिवेदनों पर विवेचन हेतु एक कक्षा-चक्र का समय दिया जाता है, जिसमें समूहों के सदस्य-छात्र परस्पर विवेचन करते हैं। अन्त में शिक्षक प्रत्येक कार्य गोष्ठी समूह की रिपोर्ट का अध्ययन करता है और मूल्यांकन करता है। इस प्रकार छात्र ऐतिहासिक, भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक समस्याओं के समुचित समाधान खोजने का प्रयास करते हैं और व्यावहारिक ज्ञान अर्जित करते हैं।


कार्यशाला में भूमिकाएँ (Roles in Workshop) 


कार्यशाला में निम्नलिखित चार भूमिका प्रमुख है


1. संयोजक (Convener)


2. अध्यक्ष (Chairman)


3. संसाधन व्यक्ति (Resource Person)


4. सहभागी (Participants)


शिक्षण पद (Steps of Teaching)—


इसमें निम्नलिखित शिक्षण पद होते हैं


1. समस्या या प्रकरण का चयन एवं प्रस्तुतीकरण ।


2. प्रकरण का कार्य गोष्ठी इकाइयों एवं कक्षा समूहों में विभाजन


3. क्रियान्वयन


4. प्रतिवेदन तैयार करना


5. संशोधन एवं विवेचन


6. मूल्यांकन।


कार्यशाला/कार्यगोष्ठी प्रविधि के गुण (Merits of Workshop Technique)


इसके निम्नलिखित गुण होते हैं


1. यह प्रविधि उच्च कक्षाओं के छात्रों के लिये विशेष उपयोगी है। 


2. इसमें छात्रों को सामाजिक अध्ययन की रचनात्मक एवं व्यावहारिक समस्याओं पर गहन अध्ययन एवं स्वतन्त्र रूप से कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है।


3. यह क्रिया प्रविधि है, जिसमें छात्र किया द्वारा ज्ञान प्राप्त करते हैं।


4. छात्रों के स्वाध्याय एवं स्वतन्त्र-चिन्तन के लिए यह प्रविधि विशेष उपयोगी है।


कार्यशाला/कार्यगोष्ठी प्रविधि की सीमाएँ (Limitations of Workshop Technique)


इस प्रविधि की निम्नलिखित सीमाएँ हैं 


1. यह प्रविधि निम्न कक्षा हेतु उपयोगी नहीं है।


2. इससे पाठ्यक्रम पूर्ण करने में अधिक समय लगता है। अतः समय की दृष्टि से यह प्रविधि मितव्ययी नहीं है।


3. कार्यगोष्ठी समूह के सदस्यों में कार्य के मध्य अनुशासन की समस्या भी बनी रहती है, जो शिक्षक के लिये कठिनाई पैदा करती है।


कार्यशाला/कार्यगोष्ठी की उपयोगिता (Utility of Workshop)


सफल शिक्षण के लिये कार्य गोष्ठियाँ बड़ी ही उपयोगी है। अभी तक कार्य गोष्ठियों का आयोजन कतिपय विशेष अवसरों पर ही किया जा रहा है और वह भी विशेषीकृत अथवा उच्च शिक्षा लिए किन्तु यह पाया गया है कि यदि कार्य गोष्ठी उचित प्रकार से संचालित हो तो सामान्य शिक्षण के लिए भी कार्यगोष्ठी सफलतापूर्वक कार्य करती है। इस प्रकार शिक्षण के लिए कार्यगोष्ठी की उपयोगिता को निम्नांकित बिन्दुओं पर उल्लिखित किया जा सकता है 


1. इसमें छात्र को विशेषज्ञों द्वारा विचार या ज्ञान प्रदान कराया जा सकता है।


2. कार्यगोष्ठी अनुशासनहीनता की समस्या को जड़ से ही समाप्त कर देती है।



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