9 : खेल/गतिविधि प्रविधि (PLAYWAY TECHNIQUE)
बालक स्वाभाविक रूप से खेलने में रुचि लेते हैं। वे खेल के द्वारा ही अपनी इच्छाओं की प्रवृत्तियों को प्रकट करते हैं। बालक खेलने में विशेष रुचि लेते हैं। बालक के जीवन में खेल का विशेष महत्त्व होता है। बालकों के जीवन में खेल का इतना महत्त्व होने के कारण बालकों को शिक्षा देने के लिये खेल विधि का आविष्कार किया गया है।
खेल की परिभाषा–म्यूलिक के अनुसार, "जो कार्य अपनी इच्छा से स्वतन्त्रतापूर्वक करें वही खेल है।"
खेल का महत्त्व
विद्यालयों में खेल का महत्त्व विद्यालयों में खेल का महत्त्व इस प्रकार है
1. खेलों के द्वारा बालकों में कुशलता का विकास किया जा सकता है।
2. खेलों के द्वारा छात्र अपनी कुशलता सम्बन्धी गुणों का परिमार्जन कर सकते हैं।
3. खेल सामाजिक भावना का विकास करते हैं।
4. खेल बालकों का बौद्धिक विकास करते हैं।
5. खेल बालकों के अनुभव में वृद्धि करते हैं।
6. "क्रिया द्वारा सीखना" ("Learning by Doing") खेलों के द्वारा ही होता है।
7. खेलों के द्वारा बालकों का शारीरिक विकास होता है। 8. खेलों के द्वारा बालकों में सहयोग की भावना जाग्रत होतीहै।
9. खेलों में अनुशासन आवश्यक होता है। इस प्रकार छात्र खेल के द्वारा स्व-अनुशासन का पाठपढ़ते हैं।
10. खेल बालकों की नेतृत्व शक्ति में वृद्धि करते हैं। इसका कारण यह है कि खेल-खेलते समय अनेक ऐसे अवसर आते हैं जब बालक को नेता के रूप में कार्य करना पड़ता है।
11. खेल मानसिक तनाव को दूर करते है।
12. खेलों के द्वारा छात्र-छात्राओं में आत्मविश्वास जाग्रत होता है। वे अन्य कार्यों को भी आत्मविश्वास के साथ कर सकते हैं।
खेल प्रविधि का अर्थ (Meaning of Playway Technique)–
खेल विधि बालकों की खेल प्रवृत्ति का ऐसे उत्तम ढंग से प्रयोग करती है कि बालक खेल-खेल में ही नवीन ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ हो जाते हैं। ह्यूजेज और ह्यूजेज के अनुसार, "वह विधि जो छात्रों को उसी उत्साह से सीखने की योग्यता प्रदान करती है, जो उनके स्वाभाविक खेल में विद्यमान है. खेल विधि के नाम से जानी जाती है।"
खेल प्रविधि के सिद्धान्त (Principles of Playway Technique)
खेल प्रविधि के प्रमुख सिद्धान्त इस प्रकार हैं
1. शिक्षण की परम्परा विधियों को समाप्त करके एक रोचक शिक्षण विधि का चयन करना।
2. शिक्षण कार्य में बालकों की रुचियों का ध्यान रखना।
3. सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाना।
4. शिक्षकों के दृष्टिकोण में परिवर्तन करना।
5. ऐसा पर्यावरण बनाना जिसमे बालक कला तथा विज्ञान के शिक्षक के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोणविकसित कर सकें।
6. शिक्षण विधियों को लचीला बनाना जिससे वे बालकों की आवश्यकता के अनुकूल बन सकें।
7. विद्यालय कार्य का सम्बन्ध लाभदायक कार्यों से जोड़ना।
8. शिक्षण सामग्री में सुधार करना।
9. बालको की खेल प्रवृत्ति को उत्साह प्रदान करना।
10. बालकों के लिये संगीत बागवानी तथा हस्तकार्य आदि क्रियाओं की व्यवस्था करना।
11. बालकों की रचनात्मक शक्तियों का विकास करना।
12. बालकों को स्वतन्त्र वातावरण में शिक्षा देना।
खेल प्रविधि की आवश्यकता (Need of Playway Technique)
खेल प्रविधि के कुछ सिद्धान्त इस प्रकार हैं
1. स्वतन्त्रता- इस विधि में बालक को पूर्ण स्वतन्त्रता दी जाती है।
2. रचनात्मक तथा मानसिक शक्तियों का विकास–खेल बालकों की रचनात्मक तथा मानसिक शक्तियों का सूचक है। इस प्रकार शिक्षा में खेल को स्थान देने का अर्थ बालकों की रचनात्मक तथामानसिक शक्तियों का विकास करना है।
3. उत्तम शिक्षण खेल द्वारा शिक्षा देना प्राकृतिक शिक्षण विधि है। शिक्षण की उपयोगिता के लि खेल विधि को शिक्षा में स्थान दिया जाना चाहिये।
खेल के विभिन्न रूप-खेल के विभिन्न रूप इस प्रकार हैं
1. उछलना, कूदना तथा भागना.
2. विभिन्न वस्तुओं से खेलना,
3. अभिनयात्मक खेल,
4. आविष्कारात्मक खेल, तथा
5. सामूहिक खेल।
खेल प्रविधि के गुण (Merits of Playway Technique)
बालकों को खेल प्रविधि से शिक्षा देने के प्रमुख लाभ या गुण
इस प्रकार हैं
1. यह विधि बालकों को क्रियाशील बनाती है।
2. यह विधि बालकों को सहयोग का पाठ पढ़ाती है।
3. यह विधि बालकों की रचनात्मक शक्तियों का विकास करती है।
4. इस विधि से शिक्षण करने में बालक सामाजिक सम्बन्ध बनाने में समर्थ होते हैं।
5. यह विधि बालकों का शारीरिक और मानसिक विकास करती है।
6. यह विधि बालकों में सामाजिक सामंजस्य स्थापित करती है।
7. यह विधि बालकों को ध्यान केन्द्रित करना सिखाती है।
8. यह विधि बालकों को स्वतन्त्र वातावरण में रखकर स्व-अनुशासन सिखाती है।
9. यह विधि बालकों की समूह प्रवृत्ति को परिष्कृत करती है।
10. यह विधि बालकों को अपने विचारों को कार्यरूप में परिणत करने का अवसर प्रदान करती है।
11. यह विधि बालकों को गम्भीर कार्य करने को तैयार करती है।
खेल प्रविधि के दोष (Demerits of Playway Technique)
इस प्रविधि के प्रमुख दोष इस प्रकार हैं
1. इस विधि से उच्च कक्षा के बालक लाभान्वित नहीं हो सकते। जब बालक किशोरावस्था पहुँच जाते हैं तो उनकी रुचि खेल में कम हो जाती है।
2. इस विधि से दी जाने वाली शिक्षा महँगी होती है। इसी कारण जनसाधारण इससे लाभ नहीं
3. सभी विद्यालय इस विधि से शिक्षा का प्रबन्ध नहीं कर सकते।
4. इस विधि से शिक्षा देने में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी पड़ सकती है।
5. इस विधि से जो शिक्षक शिक्षण कार्य करते हैं, उनको विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है
विभिन्न विषयों के शिक्षण में खेल विधि
खेल प्रविधि में निम्नलिखित विषयों में शिक्षा दी जा सकती है— 1. इतिहास,
2.भूगोल
3. गणित,
4. विज्ञान
5. वाणिज्यशास्त्र
6. भाषाएँ।
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