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स्पष्टीकरण प्रविधि (EXPOSITION TECHNIQUE) kyaHai ।स्पष्टीकरण की विशेषताएँ

5 : स्पष्टीकरण प्रविधि (EXPOSITION TECHNIQUE)


स्पष्टीकरण (EXPOSITION) भी एक प्रकार का वर्णन ही होता है। स्पष्टीकरण के द्वारा छात्रों के अथवा शिक्षक के विचार स्पष्ट किये जाते हैं। यह एक कला है। यह कला विचारों को स्पष्ट करती है। स्पष्टीकरण का उद्देश्य विचारों को एक प्रकार स्पष्ट करना है कि बालक उस ज्ञान को सरलता से ग्रहण कर लें। जिस विषय के बारे में छात्र बहुत कम जानते हैं, उस समय स्पष्टीकरण का प्रयोग किया जाता है। स्पष्टीकरण देते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखी जानी चाहिये


सावधानियाँ


1. स्पष्टीकरण सरल भाषा में होना चाहिये।


2. स्पष्टीकरण स्वाभाविक रूप से किया जाना चाहिये।


3. शिक्षक को स्पष्टीकरण करने में शीघ्रता नहीं करनी चाहिये।


4. शिक्षक को यह ज्ञात होना चाहिये कि स्पष्टीकरण करने का उद्देश्य क्या है।


5. विषय-सामग्री को तार्किक क्रम से प्रस्तुत करना चाहिये।


6. पाठ को खण्डों में विभाजित कर लेना चाहिये।


7. प्रत्येक खण्ड का स्पष्टीकरण आवश्यक नहीं होता है। 


8. स्पष्टीकरण देते समय सहायक सामग्री का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिये।


9. स्पष्टीकरण देने के पश्चात् शिक्षक को यह जानकारी करनी चाहिये कि छात्र उस सामग्री को समझ सके है अथवा नहीं। 


10. मन्द बुद्धि वाले बालकों की सहायता के लिये शिक्षक को प्रत्येक पद के पश्चात् उसकी पुनरावृत्ति करनी चाहिये।


स्पष्टीकरण की विशेषताएँ (Characteristics of Exposition)


स्पष्टीकरण की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं


1. भाषा (Language) शिक्षक को चाहिए कि जब वह स्पष्टीकरण दे तो उसकी भाषा सरल एवं बोधगम्य होनी चाहिये जिससे छात्रों के द्वारा उसे ग्रहण करने में परेशानी नहीं हो। भाषा में क्लिष्टता आ जाने से स्पष्टीकरण उपयुक्त नहीं होता है बल्कि वह विवरण नामक, युक्ति में बदल जाता है।


2. समग्रता (Totality) स्पष्टीकरण में जिस विषय-वस्तु का शिक्षण किया जा रहा है उसके विषय में यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके समस्त बिन्दु समान रूप से स्पष्टीकरण में हैं या नहीं तथा प्रत्येक पहलू का स्पष्टीकरण हो चुका है। ऐसा न होने पर छात्रों को पूर्ण जानकारी नहीं हो पाती है।


3. विशिष्टता (Speciality)- स्पष्टीकरण में विशिष्टता का बहुत महत्त्व है। शिक्षक जिस समय स्पष्टीकरण दे रहे हो उस समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि लम्बे स्पष्टीकरण में छात्रों को न खो दें। बल्कि पाठ की विशिष्टता की ओर विशेष ध्यान दें। अन्यथा छात्रों को विषय-वस्तु स्पष्ट नहीं हो पायेगी।


4. क्रमबद्धता (Systematic) शिक्षण के द्वारा स्पष्टीकरण युक्ति का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि वह पाठ्य-वस्तु को छात्रों के समक्ष क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करें। जिससे छात्र उसका ज्ञान अपने मानसिक स्तर में व्यवस्थित रूप से ग्रहण कर सकें तथा इस प्रकार प्रदान किया गया ज्ञान (Knowledge) शीघ्र भूलने वाला नहीं होता है।


5. उपयुक्तता (Suitability) — स्पष्टीकरण में सबसे अधिक ध्यान देने योग्य बात यह है कि स्पष्टीकरण में उपयुक्तता होनी चाहिये। उत्तर यदि विषय-वस्तु से हटकर स्पष्टीकरण में तथ्यों को सम्मिलित किया तो निश्चित रूप से छात्र भटक जायेंगे और शिक्षण अधिगम न्यून स्तर पर ही रहेगा। इसलिए में छात्रों के मानसिक स्तर तथा पाठ्यक्रम दोनों में उपयुक्त तालमेल मिलाकर इसका प्रयोग करना चाहिये।

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