2 : विवरण प्रविधि/ कथन प्रविधि
(NARRATION TECHNIQUES)
विवरण प्रविधि क्या है (Vivran pravidhi kya है)
विवरण से तात्पर्य क्रमानुसार वर्णन प्रक्रिया से है। शिक्षण की ऐसी विधि जिसमें पाठ्यवस्तु प्रसंग, घटना, स्थान का सरल भाषा में कथन किया जाता है इसलिए इसे कथन विधि भी कहते हैं ।
जब प्रश्नों के वांछित उत्तर न मिले तो इसका प्रयोग किया जाता है।
विवरण शिक्षण क्रिया की अनिवार्य युक्ति है। शिक्षण के किसी-न-किसी स्तर पर अध्यापक को विवरण देना या कथन अवश्य देना पड़ता है। किसी विषय के लिए विवरण देने में प्रमुख उद्देश्य यह होता i = 7/19 उसके मुख्य पहलुओं पर उचित प्रकाश पड़ सके। विवरण का प्रयोग पाठ के अधोलिखित स्थलों पर किया जाता है---
(अ) प्रस्तावना के अन्त में—जब पाठ की प्रस्तावना प्रश्नों, चित्रों एव उदाहरणों आदि के द्वारा प्रस्तुत की जाती है, तो आमतौर से उनके बाद विवरण की प्रविधि का प्रयोग करना पड़ता है।
(व) पाठ के मध्य में—जब पाठ विकसित किया जाता है, तो कई स्थलों पर विषय पर विशेष प्रकाश डालने की दृष्टि से विवरण दिया जाता है। भिन्न-भिन्न विषयों में विवरण प्रविधि का प्रयोग भिन्न भिन्न ढंगों से किया जाता है। इतिहास का अध्यापक अतीत की घटनाओं एवं परिस्थितियों का स्पष्ट चित्रण करने के लिए विवरण देता है, तो विज्ञान का अध्यापक प्रयोगों तथा उनसे सम्बन्धित यन्त्रों के बारे में विवरण देने की आवश्यकता अनुभव करता है। गणित में इस प्रविधि का प्रयोग बहुत कम होता है जबकि सामाजिक विषयों में विवरण को एक महत्त्वपूर्ण एवं अनिवार्य प्रविधि माना जाता है।
विवरण प्रविधि प्रयोग
(1) विवरण छात्रों की आयु के अनुसार सरल एवं स्पष्ट भाषा में किया जाये।
(2) छात्रों की मानसिक क्षमता और रूचि के अनुसार प्रस्तुत किया जाये।
(3) प्रश्न उक्ति प्रविधि का प्रयोग भी किया जाना चाहिए। विवरण उक्ति प्रश्न उक्ति की पूरक है।
(4) मुख्य विषय और बिन्दु से भटकाव न हो ।
(5) विवरण ऐसा प्रस्तुत किया जाना चाहिए कि छात्रों को लगे कि वे स्वयं तथा घटना के प्रत्यक्षदर्श हैं।
विवरण प्रविधि की विशेषताएँ (Characteristics of Narration Technique) इस प्रविधि की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(1) विवरण बालक के मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव डालता है जो सूचना या ज्ञान पुस्तकों के प से कुछ समय के बाद मालूम होता है। यह विवरण के मध्य से अत्यन्त रोचक एवं मितव्ययी ढंग से ग्रहण किया जा सकता है।
(2) विवरण द्वारा विषय के अनेक पक्षों पर प्रकाश पड़ता है। एक ही विषय की सर्वांगपूर्ण सम विवरण द्वारा प्रस्तुत की जाती है।
(3) विवरण द्वारा बालक की जिज्ञासा को पनपाने में सरलता होती है।
(4) विषय की तर्कपूर्ण स्थापना की दृष्टि से विवरण बड़ा उपयोगी होता है।
विवरण प्रविधि की सीमाएँ (Limitations of Narration Technique)
विवरण प्रविधि का प्रयोग सभी विषयों के शिक्षण में नहीं किया जा सकता। विवरण प्रविधि की कुछ सीमाएँ हैं, जो इस प्रकार हैं
(1) विवरण प्रविधि के प्रयुक्त होने पर शिक्षक अधिक सक्रिय रहता है।
(2) विवरण की प्रासंगिकता एवं पर्याप्तता के बारे में निर्णय लेना बड़ा कठिन कार्य है।
(3) विवरण को तार्किक तथा मनोवैज्ञानिक क्रम में उपस्थित करना एक कला है जिसमें प्रत्येक में शिक्षक दक्ष नहीं होता है।
(4) शिक्षक की कुशलता पर विवरण की प्रभावशीलता निर्भर करती है।
कुछ अन्य बातों के प्रति भी सावधानी बरतनी चाहिए—
(1) विवरण न तो अधिक लम्बा हो और न अधिक छोटा हो।
(2) विवरण प्रसंगानुकूल तथा उचित गति से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
(3) विवरण को छात्र के लिए रोचक एवं बोधग्राह्य बनाने की चेष्टा करनी चाहिए।
(4) तथ्यों तथा भाषा दृष्टि से विवरण में किसी प्रकार की अशुद्धि नहीं रहनी चाहिए।
(5) विवरण देते समय चित्रों, रेखाचित्रों, चार्ट, मानचित्र तथा उदाहरण आदि भी देने चाहिए।
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